बीकानेर: नोखा में पानी की टंकी में गिरने से 58 वर्षीय कमलादेवी की दर्दनाक मौत, सुरक्षा पर उठे सवाल

बीकानेर | राजस्थान के बीकानेर जिले के नोखा थाना क्षेत्र में एक हृदय विदारक हादसा सामने आया है, जिसमें 58 वर्षीय कमलादेवी की घर में बनी पानी की टंकी (कुंडी) में गिरने से मृत्यु हो गई। यह घटना उस समय हुई जब कमलादेवी अपने घर में पानी निकाल रही थीं और उनका पैर फिसल गया। इस दुखद हादसे ने परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की टंकियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

हादसे का विवरण

मृतका के बेटे, जितेंद्र कांकरिया ने नोखा पुलिस को बताया कि 16 जुलाई 2025 की सुबह उनकी मां कमलादेवी घर में बनी पानी की कुंडी से पानी निकालने का काम कर रही थीं। इस दौरान उनका पैर फिसल गया, जिसके कारण वे कुंडी में गिर गईं। जितेंद्र के अनुसार, परिवार के सदस्यों ने तुरंत उन्हें बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन तब तक कमलादेवी की मृत्यु हो चुकी थी। प्रारंभिक जानकारी के आधार पर, ऐसा प्रतीत होता है कि गहरी कुंडी और फिसलन के कारण यह हादसा हुआ। यह स्पष्ट नहीं है कि कुंडी का ढक्कन खुला था या उसमें कोई सुरक्षा उपाय नहीं थे।

घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचित किया, और नोखा थाना पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची। पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना किया और शव को पोस्टमार्टम के लिए बीकानेर के नजदीकी सरकारी अस्पताल भेजा। पोस्टमार्टम के बाद, शव को अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को सौंप दिया गया।

पुलिस की कार्रवाई

नोखा थाना पुलिस ने इस मामले में मर्ग रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। नोखा थाना प्रभारी ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह एक दुर्घटना प्रतीत होती है, लेकिन पुलिस सभी पहलुओं की गहन जांच कर रही है। इसमें कुंडी की संरचना, सुरक्षा उपायों की कमी, और घटना के समय की परिस्थितियों को शामिल किया गया है। पुलिस ने परिजनों और आसपास के लोगों के बयान दर्ज किए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई बाहरी कारण इस हादसे से जुड़ा नहीं है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर मृत्यु के सटीक कारण की पुष्टि की जाएगी।

पानी की टंकियों से जुड़े हादसों का इतिहास

बीकानेर जिले में पानी की टंकियों में गिरने से होने वाली दुर्घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। हाल के वर्षों में, जिले में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें लोग, खासकर बच्चे और बुजुर्ग, असुरक्षित टंकियों में गिरने के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। उदाहरण के लिए, फरवरी 2025 में नोखा उपखंड के केडली गांव के देवनदा प्राथमिक स्कूल में तीन स्कूली छात्राएं—प्रज्ञा, भारती, और रवीना—पानी की टंकी में गिरने से मर गई थीं। उस घटना में स्कूल प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया गया था, क्योंकि टंकी की स्थिति खराब थी और इसे ठीक करने की मांग को नजरअंदाज किया गया था।

इसी तरह, 2019 में बीकानेर के उछेड़ा गांव में 29 वर्षीय राधा देवी और उनके तीन बच्चों ने पानी की टंकी में कूदकर आत्महत्या कर ली थी। 2023 में भी एक 21 वर्षीय युवती ने अपने भाई की मृत्यु के बाद पानी की टंकी में कूदकर आत्महत्या की थी। ये घटनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की टंकियों की खराब स्थिति और सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर करती हैं।

सुरक्षा उपायों की कमी पर सवाल

कमलादेवी की मृत्यु ने एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की टंकियों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। कई घरों और सार्वजनिक स्थानों पर बनी कुंडियां बिना ढक्कन या सुरक्षा रेलिंग के होती हैं, जो हादसों का कारण बनती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून के दौरान फिसलन और गीली सतहें इन जोखिमों को और बढ़ा देती हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि कई पुरानी कुंडियां गहरी होती हैं और उनके किनारे चिकने होते हैं, जिससे गिरने का खतरा बढ़ जाता है।

नोखा के एक निवासी ने कहा, “हमारे गांवों में कई घरों में पानी की कुंडियां पुरानी हैं। इनमें न तो ढक्कन होता है और न ही कोई रेलिंग। सरकार को ऐसी संरचनाओं के लिए सुरक्षा मानक तय करने चाहिए।” ग्रामीणों ने मांग की है कि जिला प्रशासन और पंचायती राज विभाग इस तरह की दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाए और घरेलू टंकियों के लिए सुरक्षा दिशानिर्देश लागू करे।

सामाजिक और पारिवारिक प्रभाव

कमलादेवी की असामयिक मृत्यु ने उनके परिवार को गहरे दुख में डाल दिया है। जितेंद्र कांकरिया और अन्य परिजनों ने इस हादसे को एक अपूरणीय क्षति बताया। कमलादेवी परिवार की वरिष्ठ सदस्य थीं, और उनकी मृत्यु ने परिवार की भावनात्मक और सामाजिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाला है। स्थानीय समुदाय ने उनके प्रति संवेदना व्यक्त की है और प्रशासन से परिवार की सहायता के लिए कदम उठाने की मांग की है।

प्रशासन की जिम्मेदारी और भविष्य के कदम

इस हादसे ने बीकानेर जिला प्रशासन और स्थानीय पंचायतों पर दबाव बढ़ा दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की टंकियों की सुरक्षा के लिए कोई स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं हैं, जिसके कारण इस तरह के हादसे बार-बार हो रहे हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि प्रशासन को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

  • घरों और सार्वजनिक स्थानों पर पानी की टंकियों के लिए सुरक्षा मानक तय करना, जैसे ढक्कन और रेलिंग की अनिवार्यता।
  • मानसून से पहले टंकियों और आसपास के क्षेत्रों का निरीक्षण और मरम्मत।
  • ग्रामीणों के लिए जागरूकता अभियान, जिसमें सुरक्षित पानी निकालने के तरीके और जोखिमों की जानकारी दी जाए।
  • प्रभावित परिवारों को तत्काल सहायता और मुआवजा प्रदान करना।

नोखा पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए औपचारिकताएं पूरी की हैं, लेकिन अब जिला प्रशासन और पंचायती राज विभाग की जिम्मेदारी है कि वे इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए दीर्घकालिक उपाय करें।