बीकानेर | राजस्थान के बीकानेर जिले के सेरूणा थाना क्षेत्र के लिखमीसर उतरादा गांव में एक हृदय विदारक हादसा सामने आया है, जिसमें 40 वर्षीय किसान बुधराम जाट की खेत में काम करते समय विद्युत पोल से करंट लगने के कारण मौत हो गई। यह घटना 16 जुलाई 2025 की सुबह करीब 10 बजे हुई, जब बुधराम अपने खेत में काम कर रहे थे। इस हादसे ने न केवल उनके परिवार को सदमे में डाल दिया है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं।
हादसे का विवरण
परिजनों के अनुसार, बुधराम जाट सुबह अपने खेत में दैनिक कृषि कार्यों में व्यस्त थे। तभी पास में स्थित एक विद्युत पोल से अचानक उन्हें तेज करंट का झटका लगा। करंट इतना शक्तिशाली था कि बुधराम गंभीर रूप से झुलस गए और मौके पर ही उनकी मृत्यु हो गई। घटना की सूचना तुरंत आसपास के लोगों को मिली, जिन्होंने सेरूणा पुलिस को सूचित किया। परिजनों और स्थानीय लोगों में इस हादसे से गहरा आक्रोश और दुख व्याप्त है, क्योंकि यह उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत खोने का एक बड़ा नुकसान है।
पुलिस की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही सेरूणा थाना पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची। पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना किया और शव को पोस्टमार्टम के लिए बीकानेर के नजदीकी सरकारी अस्पताल भिजवाया। पोस्टमार्टम के बाद बुधराम जाट का शव उनके परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए सौंप दिया गया। सेरूणा थाना प्रभारी ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह एक दुर्घटना प्रतीत होती है, और विद्युत पोल की स्थिति और संभावित लापरवाही की जांच की जा रही है। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और इसकी गहन पड़ताल शुरू कर दी है, जिसमें डिस्कॉम (बिजली वितरण कंपनी) के कर्मचारियों से भी पूछताछ की जाएगी।
विद्युत सुरक्षा पर सवाल
यह हादसा ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत पोल और तारों की खराब स्थिति को लेकर गंभीर सवाल उठाता है। हाल के मानसून के कारण कई जगहों पर विद्युत तार ढीले हो गए हैं या पोलों की मरम्मत नहीं हुई है, जिससे करंट लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं। हाल ही में अजमेर के भुदोल गांव में भी एक महिला की विद्युत करंट से मृत्यु और दो अन्य के घायल होने की घटना सामने आई थी, जहां डिस्कॉम की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया गया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि लिखमीसर उतरादा में भी बिजली के पोल और तारों की नियमित जांच और रखरखाव नहीं हो रहा है, जिसके कारण यह हादसा हुआ।
ग्रामीणों ने मांग की है कि बिजली विभाग इस मामले में तुरंत कार्रवाई करे और दोषी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “हमारे गांव में बिजली के तार और पोल पुराने हैं। बारिश के बाद स्थिति और खराब हो जाती है। अगर समय पर मरम्मत हो जाती, तो शायद बुधराम आज हमारे बीच होते।”
सामाजिक और पारिवारिक प्रभाव
बुधराम जाट की असामयिक मृत्यु ने उनके परिवार को गहरा आघात पहुंचाया है। परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य के निधन से उनकी आर्थिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ सकता है। स्थानीय समुदाय ने परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है और प्रशासन से मुआवजे की मांग की है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी इस घटना को लेकर लोग अपनी संवेदनाएं व्यक्त कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की लापरवाही की कीमत किसानों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है। प्रशासन को तुरंत कदम उठाने चाहिए।”
विद्युत दुर्घटनाओं का बढ़ता खतरा
राजस्थान में मानसून के दौरान विद्युत दुर्घटनाओं की संख्या में वृद्धि देखी गई है। हाल के वर्षों में, झारखंड, उत्तर प्रदेश, और अन्य राज्यों में भी इसी तरह की घटनाएं सामने आई हैं, जहां खुले तारों या खराब विद्युत पोलों के कारण लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। उदाहरण के लिए, झारखंड के गिरिडीह जिले में 6 जुलाई 2025 को एक मुहर्रम जुलूस के दौरान हाई-टेंशन तार से टकराने के कारण एक व्यक्ति की मृत्यु और तीन अन्य घायल हो गए थे। इन घटनाओं ने विद्युत विभागों की जवाबदेही और बुनियादी ढांचे की स्थिति पर सवाल उठाए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत पोलों और तारों का नियमित निरीक्षण, पुराने उपकरणों का नवीनीकरण, और जन जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। साथ ही, मानसून से पहले बिजली विभाग को विशेष अभियान चलाकर संभावित खतरों को दूर करना चाहिए।
प्रशासन और डिस्कॉम की जिम्मेदारी
इस घटना के बाद बीकानेर जिला प्रशासन और डिस्कॉम पर दबाव बढ़ गया है। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि बुधराम जाट के परिवार को तत्काल मुआवजा दिया जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। डिस्कॉम अधिकारियों ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, वे घटनास्थल की जांच कर रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि करंट लगने का कारण क्या था।