जयपुर, 16 जुलाई 2025, दोपहर 12:50 IST: जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI) ने राजस्थान के पारंपरिक कृषि जलवायु जोन को पुनर्गठित करने वाली एक नई रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट राज्य सरकार के मुख्य सचिव को सौंपी गई है, जिसमें पिछले दशकों में बदलते मौसम पैटर्न को ध्यान में रखते हुए 10 नए जोन प्रस्तावित किए गए हैं। इस अध्ययन का उद्देश्य किसानों की आजीविका और खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना है, जो अब मौसमी अनिश्चितताओं से प्रभावित हो रही है।
बदलते जलवायु परिदृश्य का असर
CAZRI के विशेषज्ञों ने पाया कि राजस्थान के रेगिस्तानी और अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में जलवायु में उल्लेखनीय बदलाव आया है। जहां पहले जैसलमेर को सबसे रेगिस्तानी जिला माना जाता था, वहीं अब बीकानेर इस श्रेणी में अग्रणी हो गया है। इसके अलावा, जयपुर का मौसम अब सीकर और झुंझनूं जैसे क्षेत्रों के समान हो गया है, जबकि टोंक और दौसा जैसे इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। ये बदलाव फसल चक्र, सिंचाई और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं।
नए जोन और क्षेत्रों का पुनर्वर्गीकरण
नए कृषि जलवायु जोन इस प्रकार प्रस्तावित किए गए हैं, जो पुराने वर्गीकरण से अलग हैं:
- पश्चिमी रेगिस्तानी क्षेत्र: अब बाड़मेर और जालोर को शामिल किया गया, जो पहले जोधपुर के साथ था।
- सिंचित मैदानी क्षेत्र: श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ को यथावत रखा गया।
- शुष्क-सिंचित मिश्रित क्षेत्र: बीकानेर और चूरू को नया केंद्र बनाया गया, जबकि जैसलमेर को हटाया गया।
- आंतरिक जल संचय क्षेत्र: सीकर, झुंझुनूं और जयपुर को एकजुट किया गया।
- लूणी घाटी क्षेत्र: अजमेर, पाली और सिरोही के कुछ हिस्सों को शामिल किया गया।
- अर्द्ध-शुष्क नवीन क्षेत्र: जोधपुर, नागौर और जैसलमेर को नया समूह बनाया गया।
- बाढ़ संवेदनशील क्षेत्र: अलवर, धौलपुर, करौली, भरतपुर, सवाई माधोपुर के साथ टोंक और अजमेर भी जुड़े।
- उप-नमी क्षेत्र: उदयपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद और सिरोही के आबू रोड-पिण्डवाड़ा को शामिल किया।
- नमी प्रधान क्षेत्र: डूंगरपुर और बांसवाड़ा यथावत।
- हाड़ौती नमी क्षेत्र: कोटा, बारां, बूंदी, झालावाड़ और प्रतापगढ़ को एक साथ लाया गया।
नीतिगत बदलाव की संभावना
यह रिपोर्ट राज्य की कृषि नीति, फसल विविधीकरण, सिंचाई परियोजनाओं और सरकारी सहायता योजनाओं को नई दिशा दे सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि बीकानेर में बाढ़ के खतरे और जैसलमेर के अर्द्ध-शुष्क क्षेत्र में परिवर्तन से फसल पैटर्न में बड़ा बदलाव होगा। उदाहरण के लिए, सिरोही में मक्का की खेती को बढ़ावा मिल सकता है, जबकि हाड़ौती में सरसों और ज्वार की संभावना बढ़ेगी।
विशेषज्ञों की राय
CAZRI के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र शर्मा ने कहा, “यह रिपोर्ट राजस्थान के किसानों के लिए एक नई शुरुआत है। जलवायु परिवर्तन के अनुरूप फसल योजना बनाना अब जरूरी हो गया है।” वहीं, संस्थान के निदेशक डॉ. अनिल कुमार ने जोड़ा, “यह अध्ययन सरकार को स्थानीय जरूरतों के अनुसार नीतियां बनाने में मदद करेगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।”