जयपुर: 11 साल पुराने सड़क जाम मामले में दो कांग्रेस विधायकों समेत 9 की सजा स्थगित

जयपुर | जयपुर की एक अदालत ने राजस्थान विश्वविद्यालय के बाहर सड़क जाम करने के 11 साल पुराने मामले में दो कांग्रेस विधायकों सहित नौ लोगों की सजा को मंगलवार को स्थगित कर दिया। यह मामला 13 अगस्त 2014 की घटना से जुड़ा है, जिसमें आरोपियों ने जेएलएन मार्ग पर लगभग 20 मिनट तक सड़क जाम की थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश-नौ प्रेम प्रकाश ओझा की अदालत ने अपीलकर्ताओं की याचिका स्वीकार करते हुए सजा पर रोक लगा दी है, और अगली सुनवाई अब 26 अगस्त 2025 को होगी। इस मामले ने एक बार फिर राजनैतिक और विधिक हलकों में चर्चा को जन्म दिया है।

घटना का पृष्ठभूमि

यह मामला 13 अगस्त 2014 का है, जब मुकेश भाकर, मनीष यादव सहित अन्य छात्र नेता राजस्थान विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के बाहर जेएलएन मार्ग पर प्रदर्शन के दौरान सड़क जाम कर दिया था। आरोप है कि इस दौरान उन्होंने भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा 147 (गैरकानूनी रूप से एकत्रित होना) और धारा 283 (सार्वजनिक मार्ग में बाधा डालना) के तहत अपराध किया। इस घटना में लगभग 20 मिनट तक यातायात बाधित रहा, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू की थी।

सजा और अपील

  • सजा का ऐलान: 17 जून 2025 को अधीनस्थ अदालत ने मुकेश भाकर (लाडनूं विधायक), मनीष यादव (शाहपुरा विधायक), द्रोण यादव, अभिषेक चौधरी, राजेश मीणा, रवि किराड़, वसीम खान, भानु प्रताप सिंह और विद्याधर मील को दोषी करार देते हुए प्रत्येक को एक-एक साल की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही 3,000-3,000 रुपये का जुर्माना और धारा 283 के तहत 200 रुपये का अतिरिक्त जुर्माना लगाया गया था।
  • जमानत: सजा के तुरंत बाद सभी दोषियों को अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया था, जिससे उन्हें तत्काल हिरासत में लेने से राहत मिली।
  • अपील: सजा के खिलाफ अपीलकर्ताओं ने जयपुर के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश-नौ प्रेम प्रकाश ओझा के समक्ष याचिका दायर की। उनके वकीलों ने दलील दी कि अपील के निपटारे में समय लगेगा और सजा लागू होने पर अपीलकर्ता अपने विधिक अधिकारों से वंचित हो जाएंगे।

अदालत का फैसला

मंगलवार को हुई सुनवाई में अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने अपीलकर्ताओं की दलीलों को स्वीकार करते हुए सजा पर अस्थायी रोक लगा दी। अदालत ने माना कि मामले की गंभीरता और अपील की प्रकृति को देखते हुए सजा को स्थगित करना उचित होगा। इस फैसले से दोषियों को राहत मिली है, और अब अगली सुनवाई 26 अगस्त 2025 को होगी, जहां इस मामले पर विस्तृत सुनवाई होगी।

प्रभाव और राजनीतिक प्रतिक्रिया

  • विधायकी पर असर: कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, एक साल की सजा से मुकेश भाकर और मनीष यादव की विधायकी पर कोई तत्काल खतरा नहीं है, क्योंकि दो साल से अधिक की सजा होने पर ही सदस्यता रद्द होती है। हालांकि, यह मामला राजनीतिक रूप से संवेदनशील बना हुआ है।
  • कांग्रेस का रुख: कांग्रेस नेताओं ने इस सजा को राजनीतिक साजिश करार दिया है और दावा किया है कि यह भाजपा सरकार की ओर से विपक्ष को दबाने की कोशिश है। वहीं, पार्टी ने कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे।
  • भाजपा की प्रतिक्रिया: दूसरी ओर, भाजपा ने इसे कानून के शासन का उदाहरण बताते हुए कहा कि सभी को कानून के समक्ष बराबर माना जाना चाहिए, चाहे वे विधायक हों या आम नागरिक।

अभियुक्तों का परिचय

  • मुकेश भाकर: लाडनूं से कांग्रेस विधायक, जो इस घटना के समय छात्र नेता थे और अब राजस्थान विधानसभा में सक्रिय हैं।
  • मनीष यादव: शाहपुरा से कांग्रेस विधायक, जो इस प्रदर्शन में अहम भूमिका निभाने के लिए जाने जाते हैं।
  • अभिषेक चौधरी: झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से 2023 में चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। वे भी इस मामले में शामिल रहे।
  • शेष छह (द्रोण यादव, राजेश मीणा, रवि किराड़, वसीम खान, भानु प्रताप सिंह, विद्याधर मील) भी उस समय के छात्र नेता थे, जो प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे थे।