श्रीगंगानगर | सावन के पहले सोमवार को श्रीगंगानगर में भगवान शिव की भक्ति और इंद्रदेव की मेहरबानी का अनोखा संगम देखने को मिला। जहां एक ओर श्रद्धालुओं ने शिव मंदिरों में जलाभिषेक कर भोलेनाथ का आशीर्वाद मांगा, वहीं दूसरी ओर भारी बारिश ने शहर को जलमग्न कर दिया। जिला कंट्रोल रूम के आंकड़ों के अनुसार, मुकलावा में सर्वाधिक 96 एमएम बारिश दर्ज की गई, जबकि श्रीगंगानगर शहर में 62 एमएम, सादुलशहर में 25 एमएम, केसरीसिंहपुर में 21 एमएम और श्रीविजयनगर में 11 एमएम बारिश हुई। इस बारिश ने जहां खेतों को सींचा, वहीं शहर में जल निकासी की खराब व्यवस्था ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया।
जलभराव ने शहर को किया बेहाल
श्रीगंगानगर शहर में जल निकासी की व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई। सड़कों और गलियों में घुटनों तक पानी भर गया, जिससे आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। पुरानी आबादी के वार्ड नंबर चार में पानी निकासी की कोई व्यवस्था न होने से बारिश का पानी घरों में घुस गया, जिससे कई परिवारों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। गौशाला मार्ग पर जलभराव के कारण वाहनों के इंजन बंद होने से लंबा जाम लग गया। जवाहरनगर के इंदिरा वाटिका के पास मीरा मार्ग नदी की तरह बह रहा था, जहां लोग पानी में डूबकर निकलने को मजबूर थे।
एसएसबी रोड के निवासियों ने प्रशासन से पानी निकालने के लिए टैंकरों की मांग की, लेकिन त्वरित राहत नहीं मिली। स्थानीय पार्षद और महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष कमला बिश्नोई ने प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा, “जिला प्रशासन गहरी नींद में है। लोगों के घरों में पानी घुस रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।” ब्लॉक एरिया में भी यही हाल रहा, जहां सड़कें तालाब बन गईं।
नगर परिषद के प्रयास नाकाफी
नगर परिषद ने गुरुनानक बस्ती और पुरानी आबादी के इदगाह के पास पंपसेट और मोटरें लगाकर पानी निकासी की कोशिश की, लेकिन भारी बारिश के आगे ये उपाय बौने साबित हुए। प्रशासन का एक ही जवाब था, “पानी की मात्रा ज्यादा है, तीन-चार घंटे में स्थिति सामान्य हो जाएगी।” हालांकि, देर शाम तक कई इलाकों में जलभराव बना रहा। यूआईटी सचिव अशोक असीजा ने बताया कि नालों में कचरा जमा होने से पानी की निकासी में रुकावट आई, जिसे जेसीबी से साफ करवाया जा रहा है। फिर भी, कई क्षेत्रों में स्थिति नियंत्रण से बाहर रही।
जश्न के बीच मुश्किलें
सावन का पहला सोमवार होने के कारण शहर के शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ी। मंदिरों में जलाभिषेक और पूजा-अर्चना का दौर चला, लेकिन बारिश ने भक्तों के उत्साह पर भी पानी फेर दिया। सादुलशहर और केसरीसिंहपुर में भी जलभराव की स्थिति ने लोगों को परेशान किया, जबकि मुकलावा में रिकॉर्ड 96 एमएम बारिश ने क्षेत्र को पूरी तरह जलमग्न कर दिया। श्रीविजयनगर में कम बारिश होने के बावजूद जल निकासी की समस्या बनी रही।
प्रशासन की तैयारियों पर सवाल
जलभराव की यह समस्या कोई नई नहीं है। हर बारिश में श्रीगंगानगर की यही हालत होती है, लेकिन प्रशासन स्थायी समाधान नहीं निकाल पाया है। नालों की नियमित सफाई न होना और ड्रेनेज सिस्टम की कमी इसकी प्रमुख वजहें हैं। जिला कलेक्टर डॉ. मंजू ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और लोगों की शिकायतें सुनीं, लेकिन स्थानीय निवासियों का कहना है कि बिना दीर्घकालिक योजना के ये दौरे केवल औपचारिकता हैं। पहले भी भारी बारिश में सेना को पानी निकासी के लिए बुलाना पड़ा था, और इस बार भी स्थिति वैसी ही रही।