अजमेर: दो किसानों के नाम पर 144 करोड़ का जीएसटी घोटाला, नोटिस से मचा हड़कंप

अजमेर | राजस्थान के अजमेर जिले में एक चौंकाने वाला जीएसटी घोटाला सामने आया है, जिसमें दो साधारण किसानों के दस्तावेजों का दुरुपयोग कर 144 करोड़ 26 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई। अज्ञात ठगों ने इन किसानों के आधार और पैन कार्ड का उपयोग कर फर्जी फर्में बनाईं और फर्जी बिलों के जरिए सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया। जीएसटी और साइबर विभाग द्वारा नोटिस भेजे जाने के बाद पीड़ित किसानों को इस फर्जीवाड़े का पता चला, जिससे उनके परिवार सदमे में हैं। यह मामला साइबर अपराधों की बढ़ती चुनौती और दस्तावेजों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करता है।


घटना की पूरी कहानी

घोटाले का शिकार बने किसानों में से एक, रामराज चौधरी, सरवाड़ तहसील के केरिया कला गांव के निवासी हैं। ठगों ने उनके और एक अन्य किसान के दस्तावेजों का उपयोग कर फर्जी फर्में रजिस्टर कीं। इन फर्मों के जरिए कागजों पर करोड़ों रुपये का लेन-देन दिखाया गया, जिसमें कोई वास्तविक कारोबार नहीं हुआ। फर्जी इनवॉइस और इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के दुरुपयोग से 144 करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी चोरी की गई।

  • नोटिस से खुलासा:
  • रामराज को अप्रैल 2025 में आयकर विभाग से नोटिस मिला, जिसमें उनके नाम पर कोटक महिंद्रा बैंक में एक फर्जी खाता और फर्म का जिक्र था।
  • रामराज ने बताया कि उन्हें इस खाते या फर्म की कोई जानकारी नहीं थी, और न ही उन्होंने कभी कोई बैंक खाता खोला था।
  • दूसरे किसान को भी इसी तरह का नोटिस मिला, जिसके बाद दोनों के परिवारों में हड़कंप मच गया।

किसानों की परेशानी

  • रामराज की आपबीती:
  • रामराज, जो खेती से अपने परिवार का गुजारा करते हैं और ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं, ने बताया कि नोटिस मिलने के बाद उनकी जिंदगी बदल गई। इतनी बड़ी रकम का नोटिस उनके लिए सदमे जैसा था।
  • उन्होंने सरवाड़ थाने में शिकायत करने की कोशिश की, लेकिन मामला जटिल होने के कारण उन्हें अजमेर साइबर थाने भेजा गया। साइबर थाने में भी त्वरित कार्रवाई न होने से वे निराश हैं और अब अजमेर पुलिस अधीक्षक (एसपी) वंदिता राणा से न्याय की उम्मीद कर रहे हैं।
  • दूसरे किसान की स्थिति:
  • दूसरे किसान की पहचान अभी पूरी तरह सामने नहीं आई है, लेकिन उनकी स्थिति भी रामराज जैसी है। दोनों अनजाने में इस घोटाले का शिकार बने हैं और अब सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।

पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया

  • पुलिस की जांच:
  • अजमेर एसपी वंदिता राणा ने साइबर सेल को मामले की गहन जांच के निर्देश दिए हैं। साइबर थाने के सीआई हनुमान सिंह ने बताया कि शिकायत औपचारिक रूप से दर्ज होने की प्रक्रिया चल रही है, और प्रारंभिक जांच शुरू हो चुकी है।
  • पुलिस को संदेह है कि यह एक संगठित साइबर गिरोह का काम है, जो ग्रामीण और अनपढ़ लोगों को निशाना बनाता है।
  • जीएसटी विभाग:
  • जीएसटी विभाग ने फर्जी लेन-देन का पता लगाने के बाद नोटिस जारी किए। विभाग अब फर्जी फर्मों और बैंक खातों की जांच कर रहा है, लेकिन ठगों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है।
  • साइबर विभाग दस्तावेजों के दुरुपयोग और फर्जी खातों की पड़ताल में जुटा है।

इसी तरह के अन्य मामले

यह कोई पहला मामला नहीं है। राजस्थान और अन्य राज्यों में हाल के महीनों में ऐसे कई घोटाले सामने आए हैं:

  • जून 2025 में जोधपुर में 240 फर्जी फर्मों के जरिए 524 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का खुलासा हुआ, जिसमें सात लोग गिरफ्तार हुए।
  • अप्रैल 2025 में बूंदी के एक कुम्हार को 13.55 करोड़ रुपये का आयकर नोटिस मिला, क्योंकि उनके दस्तावेजों का दुरुपयोग हुआ था।
  • झारखंड के हजारीबाग में एक किसान के नाम पर 54 करोड़ रुपये का फर्जी कोयला व्यापार दिखाया गया।
    ये मामले दर्शाते हैं कि यह एक बड़े संगठित अपराध का हिस्सा है, जो गरीब और कम पढ़े-लिखे लोगों को निशाना बनाता है।

चुनौतियां और समाधान की जरूरत

  • संगठित साइबर अपराध: इस तरह के घोटाले कई राज्यों में फैले गिरोहों द्वारा किए जा रहे हैं, जिससे जांच में जटिलता आ रही है।
  • जांच में देरी: पीड़ितों की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई न होने से ठगों को भागने का मौका मिल रहा है।
  • जागरूकता की कमी: ग्रामीण लोग अपने दस्तावेजों की सुरक्षा के प्रति जागरूक नहीं हैं, जिसका ठग फायदा उठाते हैं।
  • जरूरी कदम:
  • जीएसटी रजिस्ट्रेशन और बैंक खाता खोलने की प्रक्रिया में बायोमेट्रिक सत्यापन को अनिवार्य करना।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में दस्तावेजों की सुरक्षा के लिए जागरूकता अभियान चलाना।
  • साइबर अपराधों की जांच के लिए विशेष टास्क फोर्स का गठन।

अजमेर का यह 144 करोड़ रुपये का जीएसटी घोटाला साइबर अपराधों की नई और खतरनाक प्रवृत्ति को उजागर करता है। साधारण किसानों जैसे रामराज चौधरी को इस तरह के फर्जीवाड़े का शिकार बनाना न केवल आर्थिक अपराध है, बल्कि सामाजिक अन्याय भी है। यह घटना आधार और पैन कार्ड जैसे दस्तावेजों की सुरक्षा पर सवाल उठाती है। प्रशासन को चाहिए कि दोषियों को जल्द पकड़ा जाए और पीड़ितों को तुरंत राहत दी जाए। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को अपने दस्तावेजों की सुरक्षा के प्रति सतर्क करना जरूरी है। यह मामला समाज को सिखाता है कि डिजिटल युग में सतर्कता कितनी महत्वपूर्ण है।

@संपादक, Thartoday.com