बांसवाड़ा | राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में फर्जी डिग्री के जरिए सरकारी नौकरी हासिल करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। गढ़ी थाना पुलिस ने दो शारीरिक शिक्षकों (पीटीआई) को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने फर्जी बीपीएड डिग्री के आधार पर पीटीआई भर्ती परीक्षा 2018 और 2022 में नौकरी हासिल की थी। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान मनीष कुमार वसीटा (परतापुर) और कमलेश पाटीदार (बोदिया) के रूप में हुई है।
फर्जीवाड़े का खुलासा
पुलिस अधीक्षक हर्षवर्धन अग्रवाला के निर्देशन में गढ़ी थानाधिकारी रोहित कुमार की टीम ने यह कार्रवाई की। जांच की शुरुआत एसटी/एससी सेल के उप अधीक्षक श्यामसिंह की गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर हुई, जिसमें पीटीआई भर्ती परीक्षा में फर्जी दस्तावेजों के उपयोग की जानकारी दी गई थी। जांच में पाया गया कि दोनों आरोपियों ने छत्तीसगढ़ के पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से कथित तौर पर प्राप्त बीपीएड डिग्रियां प्रस्तुत की थीं, जो विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में फर्जी और कूटरचित पाई गईं।
- मनीष कुमार वसीटा ने 2018 की भर्ती में फर्जी डिग्री का उपयोग किया।
- कमलेश पाटीदार ने 2022 की भर्ती में इसी तरह का फर्जीवाड़ा किया।
कानूनी कार्रवाई
पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (दस्तावेजों की जालसाजी), 468 (जालसाजी के लिए कूटरचना), और 471 (फर्जी दस्तावेजों का उपयोग) के तहत मामला दर्ज किया। गिरफ्तारी के बाद दोनों को स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
जांच का विस्तार
पुलिस अब इस मामले में गहराई से जांच कर रही है। संदेह है कि फर्जी डिग्रियों का यह खेल कोई बड़ा रैकेट हो सकता है, जो सरकारी भर्तियों में धोखाधड़ी के लिए फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराता है। पुलिस अन्य संदिग्ध शिक्षकों की डिग्रियों की भी जांच कर रही है, ताकि ऐसे और मामलों का खुलासा हो सके।
पुलिस का बयान
पुलिस अधीक्षक हर्षवर्धन अग्रवाला ने कहा, “फर्जीवाड़े के खिलाफ हमारी जीरो टॉलरेंस नीति है। इस तरह के अपराध करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। हमारी टीमें इस मामले की तह तक जाएंगी और सभी दोषियों को सामने लाएंगी।”
प्रशासनिक और सामाजिक प्रभाव
इस घटना ने राजस्थान में सरकारी भर्ती प्रक्रिया में सत्यापन की पारदर्शिता और सख्ती की आवश्यकता को एक बार फिर रेखांकित किया है। यह मामला उन उम्मीदवारों के लिए भी चेतावनी है, जो अवैध तरीकों से नौकरी हासिल करने की कोशिश करते हैं। सामाजिक स्तर पर इस कार्रवाई की सराहना हो रही है, क्योंकि यह निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
आगे की राह
बांसवाड़ा पुलिस ने संकेत दिया है कि इस तरह की कार्रवाइयां भविष्य में भी जारी रहेंगी। शिक्षा विभाग और कर्मचारी चयन बोर्ड से भी अपेक्षा की जा रही है कि वे भर्ती प्रक्रिया में दस्तावेजों के सत्यापन को और सख्त करें, ताकि भविष्य में इस तरह के फर्जीवाड़े को रोका जा सके।
संपादकीय टिप्पणी: यह मामला न केवल प्रशासनिक सख्ती की जरूरत को दर्शाता है, बल्कि उन मेहनती उम्मीदवारों के हक की रक्षा की भी मांग करता है, जो निष्पक्ष तरीके से भर्ती प्रक्रिया में हिस्सा लेते हैं।