बीकानेर | राजस्थान के बीकानेर जिले के जयमलसर गांव में देश का पहला राजकीय बालिका सैन्य विद्यालय स्थापित होने जा रहा है, जो बालिकाओं को सैन्य शिक्षा और राष्ट्रीय सेवा के लिए तैयार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इस विद्यालय में कक्षा 6 और 9 में 80 छात्राओं को प्रवेश मिलेगा। इस परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए कोलकाता के व्यवसायी और जयमलसर के मूल निवासी भामाशाह पूनमचंद राठी ने अपने माता-पिता स्व. रामीदेवी और रामनारायण राठी की स्मृति में 108 करोड़ रुपये की संपत्ति (भूमि और भवन) दान की है। यह राजस्थान शिक्षा विभाग को अब तक का सबसे बड़ा दान है। 11 जुलाई 2025 को एक भव्य समारोह में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को दान पत्र सौंपा जाएगा, और विद्यालय परिसर का अवलोकन भी होगा।
विद्यालय की विशेषताएं और ढांचा
- प्रवेश प्रक्रिया: यह पूरी तरह आवासीय विद्यालय होगा, जिसमें कक्षा 6 और 9 में 80 छात्राओं को प्रवेश दिया जाएगा। प्रवेश के लिए आवेदन जनवरी 2026 में शुरू होंगे, प्रवेश परीक्षा अप्रैल 2026 में होगी, और परिणाम मई 2026 में घोषित होंगे। शैक्षणिक सत्र 1 जुलाई 2026 से शुरू होगा।
- शैक्षिक और सैन्य प्रशिक्षण: विद्यालय में विज्ञान संकाय की पढ़ाई होगी, और राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तहत परीक्षाएं होंगी। सैन्य प्रशिक्षण के साथ-साथ देशभक्ति, राष्ट्रीय सुरक्षा, और नेतृत्व कौशल पर जोर दिया जाएगा, ताकि छात्राएं भारतीय सेना में सेवा के लिए तैयार हो सकें।
- संचालन: विद्यालय का संचालन सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों द्वारा होगा। प्रधानाचार्य और हॉस्टल वार्डन के रूप में पूर्व सैन्य अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे, जबकि अन्य कर्मचारी राज्य सरकार से होंगे।
- आधुनिक सुविधाएं: परिसर में स्मार्ट क्लासरूम, साइंस और कंप्यूटर लैब, पुस्तकालय, खेल मैदान, और आवासीय सुविधाएं होंगी, जो छात्राओं को सर्वांगीण विकास के अवसर प्रदान करेंगी।
भामाशाह पूनमचंद राठी का योगदान
- उदार दान: पूनमचंद राठी ने 108 करोड़ रुपये की संपत्ति, जिसमें भूमि और भवन शामिल हैं, दान की है। यह दान राजस्थान के शिक्षा क्षेत्र में भामाशाह परंपरा को नई ऊंचाइयों पर ले जाता है।
- दान पत्र समारोह: 11 जुलाई 2025 को जयमलसर में आयोजित समारोह में राठी शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को दान पत्र सौंपेंगे। इस अवसर पर आसपास के 300 से अधिक गांवों में पौधारोपण की पहल भी होगी, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- राइजिंग राजस्थान: इस विद्यालय की स्थापना राइजिंग राजस्थान पहल के तहत हुई है, जिसके लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह परियोजना राज्य सरकार की शिक्षा और सशक्तिकरण की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
सामाजिक और शैक्षिक महत्व
- बालिका सशक्तिकरण: यह विद्यालय बालिकाओं को सैन्य शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से सशक्त बनाएगा, जिससे वे रक्षा क्षेत्र में योगदान दे सकें। यह लैंगिक समानता और महिलाओं की सेना में भागीदारी को बढ़ावा देगा।
- क्षेत्रीय विकास: जयमलसर और आसपास के क्षेत्रों में शिक्षा, रोजगार, और बुनियादी ढांचे के विकास को गति मिलेगी। पौधारोपण जैसे कदम स्थानीय पर्यावरण को भी लाभ पहुंचाएंगे।
- भामाशाह परंपरा: पूनमचंद राठी का यह दान राजस्थान की भामाशाह परंपरा को मजबूत करता है, जहां समाजसेवी शिक्षा और सामाजिक कल्याण के लिए उदारतापूर्वक योगदान देते हैं।
राजस्थान में अन्य सैन्य विद्यालय
राज्य सरकार ने जयमलसर के अलावा कोटा, जैसलमेर, अजमेर, भरतपुर, अलवर, जयपुर, और उदयपुर में भी बालिका सैन्य विद्यालय स्थापित करने की योजना बनाई है। श्रीगंगानगर के मिर्जेवाला में एक सामान्य सैनिक स्कूल खुलेगा। इनके लिए भूमि आवंटन हो चुका है, और अलवर में पीपीपी मॉडल के तहत स्कूल स्थापित होगा।
निष्कर्ष
जयमलसर में स्थापित होने वाला यह बालिका सैन्य विद्यालय राजस्थान और देश के लिए एक गौरवपूर्ण कदम है। भामाशाह पूनमचंद राठी का 108 करोड़ रुपये का दान शिक्षा और समाज सेवा के प्रति उनकी दूरदर्शिता को दर्शाता है। यह विद्यालय न केवल बेटियों को सैन्य प्रशिक्षण और शिक्षा के अवसर प्रदान करेगा, बल्कि उन्हें देश की सेवा में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करेगा। 11 जुलाई 2025 का समारोह इस ऐतिहासिक परियोजना की शुरुआत का प्रतीक होगा।
लेखक: TharToday.com