बीकानेर में खेजड़ी कटाई पर ग्रामीणों का आक्रोश: एक रात में 565 पेड़ कटे, नेताओं पर ठेकों में साठगांठ का आरोप

बीकानेर |राजस्थान के बीकानेर जिले में खेजड़ी पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई ने ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों में गुस्सा भड़का दिया है। जून 2025 में सोलर कंपनियों ने 807 खेजड़ी पेड़ काट डाले, जिनमें एक रात में ही 565 पेड़ों की बलि चढ़ गई। नोखा दैया, जयमलसर और खेजड़ला की रोही में हुई इस कटाई के खिलाफ स्थानीय लोग सड़कों पर उतर आए हैं। प्रदर्शनकारियों ने नेताओं और उनके समर्थकों पर सोलर प्रोजेक्ट्स के ठेकों में साठगांठ का गंभीर आरोप लगाया है।

धरना और अनशन का दौर

पर्यावरण संघर्ष समिति के बैनर तले बिश्नोई समुदाय, ग्रामीण और कार्यकर्ता अनिश्चितकालीन धरने पर डटे हैं। धरना स्थल पर स्थाई छप्पर बनाए गए हैं, जो आंदोलन की लंबी अवधि तक चलने की मंशा दिखाते हैं। कुछ प्रदर्शनकारियों ने सरकार की चुप्पी के खिलाफ मुंह पर ताला जड़कर प्रतीकात्मक विरोध जताया। मोखराम धारणियां, रामगोपाल बिश्नोई और अल्का विश्नोई के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी खेजड़ी की कटाई पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग कर रहे हैं।

प्रदर्शनकारियों ने पिछले साल 21 अक्टूबर 2024 को जिला कलेक्ट्रेट घेराव की योजना बनाई थी। उनकी मांग है कि हरियाणा की तरह राजस्थान में भी पेड़ काटने पर 50,000 रुपये जुर्माना और 3-10 साल की सजा का कानून लागू हो। साथ ही, एक पेड़ काटने के बदले 10 पेड़ लगाने की नीति और ठेकों में पारदर्शिता की मांग भी जोर पकड़ रही है।

खेजड़ी का महत्व

खेजड़ी (प्रोसोपिस सिनरेरिया), राजस्थान का राज्य वृक्ष, पर्यावरण और संस्कृति का प्रतीक है। थार मरुस्थल में यह मिट्टी की उर्वरता, जल संरक्षण और छाया प्रदान करता है। बिश्नोई समुदाय इसे पवित्र मानता है। 1730 के खेजड़ली नरसंहार में 363 बिश्नोई लोगों ने, अमृता देवी के नेतृत्व में, खेजड़ी बचाने के लिए प्राणों की आहुति दी थी। यह घटना पर्यावरण संरक्षण का ऐतिहासिक उदाहरण है। खेजड़ी की फलियां (सांगरी) भोजन, पत्तियां चारा और इसकी जड़ें औषधि के रूप में उपयोगी हैं।

आरोप और विवाद

प्रदर्शनकारी आरोप लगा रहे हैं कि सोलर कंपनियां धनबल और नेताओं के समर्थन से खेजड़ी का विनाश कर रही हैं। एक X पोस्ट में इसे “पर्यावरणीय नरसंहार” करार देते हुए नेताओं और सिस्टम पर सवाल उठाए गए। ग्रामीणों का कहना है कि सोलर ऊर्जा का विरोध नहीं, लेकिन पर्यावरण के साथ संतुलन जरूरी है।

सरकार का रुख

नोखा के पूर्व विधायक बिहारी लाल बिश्नोई ने इस मुद्दे को मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक पहुंचाने का आश्वासन दिया है। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने खेजड़ी के महत्व पर जोर देते हुए वन विभाग और कृषि विश्वविद्यालयों को जागरूकता और शोध के निर्देश दिए। फिर भी, प्रदर्शनकारी सरकार की उदासीनता से नाराज हैं और सख्त कानून की मांग कर रहे हैं।

रास्ता आगे

यह आंदोलन विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन की जरूरत को रेखांकित करता है। खेजड़ी की रक्षा के लिए सख्त कानून, बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण और ठेकों में पारदर्शिता जरूरी है। प्रदर्शनकारी खेजड़ली बलिदान से प्रेरणा लेते हुए कहते हैं कि वे खेजड़ी बचाने के लिए हर कुर्बानी देने को तैयार हैं।

लेखक: TharToday.com संवाददाता