जालोर में पूर्व मंत्री गोविंदराम मेघवाल पर हमले का प्रयास: पुलिस सक्रिय, सियासी घमासान शुरू

राजस्थान के बीकानेर संभाग के प्रमुख कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री गोविंदराम मेघवाल पर जालोर शहर के बाजार क्षेत्र में हमले की सनसनीखेज कोशिश ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। रविवार शाम हुई इस घटना ने जहां कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, वहीं दलित समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा को लेकर गंभीर बहस छेड़ दी है। ताजा अपडेट के अनुसार, जालोर पुलिस ने हमलावरों की तलाश तेज कर दी है और बाजार क्षेत्र के सीसीटीवी फुटेज के आधार पर तीन संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है।

घटना का पूरा ब्यौरा: बाजार में घात लगाकर हमला

घटना रविवार शाम जालोर के व्यस्त बाजार क्षेत्र में उस समय हुई, जब गोविंदराम मेघवाल अपनी एसयूवी में सवार होकर जा रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एक अन्य वाहन में सवार चार से पांच युवकों ने मेघवाल की गाड़ी को जबरन रोकने की कोशिश की। ड्राइवर के विरोध करने पर हमलावरों ने अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया, जिसके बाद विवाद बढ़ गया। देखते ही देखते, हमलावरों ने ड्राइवर और गाड़ी में मौजूद एक अन्य व्यक्ति पर हमला कर दिया।

मेघवाल ने बताया, “मैं गाड़ी में पीछे बैठा था। हमलावर मेरी ओर बढ़े, लेकिन शीशे बंद होने के कारण मैं सुरक्षित रहा। उन्होंने गाड़ी के शीशे पर जोरदार मुक्के मारे, जिससे शीशे में दरारें आ गईं।” ड्राइवर को चेहरे और हाथ पर मामूली चोटें आईं, जबकि साथी व्यक्ति के सिर पर चोट लगी। दोनों को तुरंत स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

मेघवाल ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। जालोर थाना प्रभारी ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया और प्रारंभिक जांच शुरू की। पुलिस का मानना है कि हमलावर स्थानीय हो सकते हैं और इस घटना के पीछे व्यक्तिगत रंजिश या राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता हो सकती है।

पुलिस की कार्रवाई: सीसीटीवी फुटेज और हिरासत

जालोर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने सोमवार को प्रेस वार्ता में बताया कि बाजार क्षेत्र के सीसीटीवी फुटेज से हमलावरों की गाड़ी और उनके चेहरों की पहचान की जा रही है। “हमने तीन संदिग्धों को हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ चल रही है। जल्द ही सभी दोषियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा,” एसपी ने कहा। भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (मारपीट), 341 (गलत तरीके से रोकना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया है। मेघवाल ने भी कानूनी कार्रवाई की बात कही और हाईकोर्ट में सुरक्षा याचिका दायर करने की योजना बनाई है।

सियासी तूफान: बेनीवाल और कांग्रेस का सरकार पर हमला

इस घटना ने राजस्थान की सियासत में भूचाल ला दिया है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के नेता हनुमान बेनीवाल ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा, “जालोर में पूर्व मंत्री गोविंदराम मेघवाल पर हमले का प्रयास और उनके ड्राइवर के साथ मारपीट लोकतंत्र पर काला धब्बा है। यह राजस्थान में लचर कानून व्यवस्था का परिणाम है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तुरंत डीजीपी को निर्देश दें कि अपराधियों को गिरफ्तार किया जाए। जालोर में पहले भी दलितों पर अत्याचार हुए, लेकिन सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।” बेनीवाल ने मेघवाल से फोन पर बात कर घटना की पूरी जानकारी भी ली।

कांग्रेस ने भी इस घटना को लेकर भाजपा सरकार को घेरा है। पूर्व विधायक गोपराम मेघवाल ने कहा, “एक दलित नेता पर हमला न केवल उनकी सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों पर प्रहार है। सरकार तुरंत कार्रवाई करे।” आहोर से कांग्रेस नेता सरोज चौधरी ने इसे “प्रशासन की नाकामी” करार दिया और कहा, “जालोर में कानून का कोई डर नहीं बचा।” सोशल मीडिया पर #JusticeForMeghwal और #RajasthanLawlessness जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जहां लोग सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठा रहे हैं।

दलितों पर अत्याचार का मुद्दा फिर चर्चा में

यह घटना जालोर जिले में दलित समुदाय के खिलाफ कथित अत्याचारों की कड़ी में ताजा मामला माना जा रहा है। विपक्ष ने “मटकी कांड” और अन्य घटनाओं का हवाला देकर सरकार पर निशाना साधा है। सामाजिक कार्यकर्ता और विश्लेषक मानते हैं कि ग्रामीण इलाकों में जातिगत तनाव और राजनीतिक प्रतिस्पर्धा ऐसी घटनाओं को बढ़ावा दे रही है। एक स्थानीय कार्यकर्ता ने कहा, “जालोर में दलित समुदाय के खिलाफ हिंसा का इतिहास रहा है। सरकार को इसे रोकने के लिए ठोस नीतियां बनानी होंगी।”

मेघवाल की प्रतिक्रिया और आगे की रणनीति

गोविंदराम मेघवाल ने इस घटना को “निंदनीय और सुनियोजित” बताया। उन्होंने कहा, “मैं अपने समर्थकों और क्षेत्र की जनता के लिए काम करता रहूंगा, लेकिन इस तरह की हिंसा स्वीकार्य नहीं है। मैं कानूनी रास्ता अपनाऊंगा और अपनी सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर करूंगा।” मेघवाल ने अपनी यात्राओं में अतिरिक्त सतर्कता बरतने का फैसला किया है और स्थानीय प्रशासन से सुरक्षा की मांग की है।

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

यह घटना राजस्थान की सियासत में नया मोड़ ला सकती है, खासकर आगामी स्थानीय चुनावों के मद्देनजर। दलित मतदाताओं के बीच यह मामला संवेदनशील बन गया है, और विपक्ष इसे सरकार के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। जालोर प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जांच निष्पक्ष होगी और दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी।