जयपुर : राजस्थान की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने शिक्षक भर्ती परीक्षा 2022 में नकल और डमी कैंडिडेट के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए फर्स्ट ग्रेड टीचर मौसम मीणा और उनके पति डालूराम मीणा को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई नकल के एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश करने के बाद हुई, जिसने शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
डमी कैंडिडेट की साजिश का खुलासा
SOG की जांच में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि मौसम मीणा ने डालूराम की भाभी रेखा मीणा की जगह डमी कैंडिडेट बनकर फर्स्ट ग्रेड टीचर भर्ती परीक्षा दी थी। इस फर्जीवाड़े के जरिए रेखा मीणा के नाम पर परीक्षा पास की गई। पूछताछ में यह भी पता चला कि डालूराम मीणा पहले सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में नकल के जरिए SI बन चुका है। SOG को संदेह है कि डालूराम ने अपनी पटवारी की नौकरी भी धोखाधड़ी से हासिल की थी।
मौसम मीणा की नौकरी पर भी सवाल
SOG ने मौसम मीणा की फर्स्ट ग्रेड टीचर की नौकरी पर भी शक जताया है। जांच एजेंसी यह पता लगाने में जुटी है कि कहीं मौसम ने भी नकल या फर्जीवाड़े के जरिए यह पद तो नहीं हासिल किया। डीआईजी परिस देशमुख ने बताया कि लंबी और गहन पूछताछ के बाद मौसम और डालूराम को गिरफ्तार किया गया। दोनों के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले हैं, जो इस नकल रैकेट की गहरी साजिश की ओर इशारा करते हैं।
रेखा मीणा की तलाश में जुटी SOG
इस मामले में डालूराम की भाभी रेखा मीणा अभी फरार है। SOG ने उसकी तलाश के लिए विशेष टीमें गठित की हैं और उम्मीद जताई है कि रेखा की गिरफ्तारी से इस नकल गिरोह के और भी राज खुल सकते हैं। जांच एजेंसी का मानना है कि इस रैकेट में अन्य लोग भी शामिल हो सकते हैं, जिनके खिलाफ जल्द कार्रवाई की जाएगी।
SOG की कड़ी कार्रवाई
SOG लगातार नकल माफिया और पेपर लीक गिरोह के खिलाफ सख्ती बरत रही है। यह गिरफ्तारी शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। डीआईजी देशमुख ने कहा कि जांच अभी जारी है और जल्द ही अन्य संदिग्धों को भी पकड़ा जाएगा। SOG का लक्ष्य इस तरह के फर्जीवाड़े को जड़ से खत्म करना है ताकि भर्ती प्रक्रिया में विश्वास बहाल हो सके।
शिक्षा व्यवस्था पर बढ़ता संकट
यह मामला राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं में बार-बार सामने आ रहे नकल और फर्जीवाड़े के मामलों को उजागर करता है। ऐसे घोटाले न केवल योग्य उम्मीदवारों के अवसर छीनते हैं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाते हैं। SOG की इस कार्रवाई से उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगेगा।
