राजस्थान सहित पूरे उत्तर भारत में गणेश चतुर्थी की धूम मची हुई है। सनातन धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है, जो भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, यानी आज 27 अगस्त 2025 को मनाया जा रहा है। इस शुभ अवसर पर भक्त पूरे विधि-विधान के साथ भगवान गणेश की पूजा करते हैं और उनकी मूर्ति की स्थापना करते हैं।
शुभ मुहूर्त और योग का विशेष संयोग
ज्योतिष के अनुसार, इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर अभिजीत मुहूर्त तो नहीं है, लेकिन रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। रवि योग, जो चंद्रमा और सूर्य के नक्षत्रों की विशेष स्थिति में बनता है, को ज्योतिष शास्त्र में अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग में किए गए कार्यों की सफलता निश्चित मानी जाती है। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग किसी भी नए कार्य की शुरुआत के लिए विशेष रूप से फलदायी होता है।
शुभ मुहूर्त: 27 अगस्त 2025 को सुबह 5:57 से 6:04 बजे तक।
10 दिनों का उत्सव और विसर्जन
गणेश चतुर्थी का यह पर्व 10 दिनों तक चलता है और इसका समापन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है। यह त्योहार उत्तर भारत के राज्यों जैसे राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के साथ-साथ महाराष्ट्र, गोवा, और गुजरात में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दौरान भक्त अपने घरों में या सामुदायिक पंडालों में भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित करते हैं।
इन 10 दिनों में भगवान गणेश की पूजा, मंत्रोच्चार, भजन-कीर्तन और विशेष आरतियां की जाती हैं। भगवान गणेश को उनके प्रिय मोदक और लड्डू का भोग लगाया जाता है। दसवें दिन, अनंत चतुर्दशी पर, भक्त ढोल-नगाड़ों के साथ गणेश जी की मूर्ति को नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जन के लिए ले जाते हैं, जो इस पर्व का भावपूर्ण समापन होता है।
सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी को सनातन धर्म में विघ्नहर्ता भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। यह पर्व भक्ति, उत्साह और एकता का प्रतीक है, जो समाज में आपसी प्रेम और सौहार्द को बढ़ावा देता है।
इस गणेश चतुर्थी पर, आइए हम सभी मिलकर भगवान गणेश से सुख, समृद्धि और शांति की प्रार्थना करें।
