नई दिल्ली, 1 अगस्त 2025, दोपहर 2:48 बजे: 86 वर्षीय आसाराम बापू, जो गुजरात और राजस्थान में रेप मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं, के लिए न्यायिक राहत के द्वार तेजी से बंद होते जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 30 जुलाई 2025 को गुजरात मामले में उनकी अंतरिम जमानत बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया है, जिससे उनकी कानूनी लड़ाई में एक और बड़ा झटका लगा है।
कोर्ट का फैसला और तर्क
शीर्ष अदालत ने आसाराम की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि स्वास्थ्य आधार पर राहत के लिए उन्हें हाई कोर्ट का रुख करना होगा। आसाराम की ओर से दावा किया गया था कि उनकी बढ़ती उम्र और चिकित्सा समस्याओं के कारण जेल में इलाज संभव नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और मामले को निचली अदालत में ले जाने का निर्देश दिया। यह फैसला उनके समर्थकों के लिए एक झटके के रूप में सामने आया है।
वर्तमान स्थिति
वर्तमान में आसाराम चिकित्सा आधार पर जमानत पर बाहर हैं, जिसकी अवधि हाल ही में राजस्थान और गुजरात हाई कोर्ट द्वारा बढ़ाई गई थी। उनकी मौजूदा जमानत 12 अगस्त 2025 तक वैध है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उनकी आगे की राह मुश्किल हो गई है। वे निजी आयुर्वेदिक अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं, जहां उनके समर्थक उनकी सेहत को लेकर चिंता जता रहे हैं।
पृष्ठभूमि और कानूनी संघर्ष
आसाराम को 2013 के जोधपुर और गांधीनगर दुष्कर्म मामलों में दोषी पाया गया था, जिसके बाद उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने कई बार चिकित्सा और मानवीय आधार पर जमानत की मांग की, लेकिन अधिकांश याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। उनकी जमानत के दौरान सोशल मीडिया पर कथित प्रवचन वायरल होने से भी विवाद बढ़ा, जिसके बाद कोर्ट ने सख्त शर्तें लागू की थीं।