जयपुर के 71 वर्षीय ताराचंद अग्रवाल ने रचा इतिहास: बिना कोचिंग, यूट्यूब से CA परीक्षा पास की

जयपुर | राजस्थान की गुलाबी नगरी जयपुर के 71 वर्षीय ताराचंद अग्रवाल ने उम्र को महज एक संख्या साबित करते हुए चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) की कठिन परीक्षा पास कर एक प्रेरणादायक मिसाल कायम की है। स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) से सहायक महाप्रबंधक के पद से रिटायर ताराचंद ने पत्नी की मृत्यु के बाद पढ़ाई शुरू की और बिना किसी कोचिंग के, केवल यूट्यूब और ऑनलाइन संसाधनों के दम पर यह उपलब्धि हासिल की। उनकी कहानी न केवल युवाओं, बल्कि हर उम्र के लोगों के लिए प्रेरणा बन रही है, जो सिखाती है कि जुनून और मेहनत के आगे कोई बाधा नहीं टिकती।


प्रेरणा की कहानी

  • पृष्ठभूमि: ताराचंद अग्रवाल मूल रूप से हनुमानगढ़ जिले के संगरिया के रहने वाले हैं। उन्होंने 1980 में स्नातक की पढ़ाई पूरी की और बैंकिंग क्षेत्र में लंबा करियर बनाया। 2014 में स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर से सहायक महाप्रबंधक के रूप में रिटायर होने के बाद, वह जयपुर में बस गए।
  • पढ़ाई का सफर: 2020 में कोविड महामारी के दौरान उनकी पत्नी का निधन हो गया, जिसने उन्हें भावनात्मक रूप से झकझोर दिया। इस दुख से उबरने के लिए ताराचंद ने अपनी पोती, जो CA की तैयारी कर रही थी, को पढ़ाना शुरू किया। इस दौरान अकाउंटेंसी और टैक्सेशन जैसे विषयों में उनकी रुचि जागी। पोती को पढ़ाते-पढ़ाते उन्होंने खुद CA बनने का फैसला किया।
  • परीक्षा में सफलता: ताराचंद ने 2022 में CA इंटरमीडिएट का पहला ग्रुप, 2023 में दूसरा ग्रुप, और जुलाई 2025 में CA फाइनल के दोनों ग्रुप पास किए। यह उपलब्धि इसलिए भी खास है, क्योंकि CA परीक्षा को भारत की सबसे कठिन प्रोफेशनल परीक्षाओं में से एक माना जाता है, जिसमें पास होने की दर बेहद कम है।

तैयारी का अनूठा तरीका

  • बिना कोचिंग: ताराचंद ने किसी भी कोचिंग संस्थान का सहारा नहीं लिया। उन्होंने यूट्यूब पर उपलब्ध लेक्चर्स, ऑनलाइन स्टडी मटेरियल, और ICAI (इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया) के संसाधनों का उपयोग किया।
  • रोजाना अनुशासन: उन्होंने एक सख्त टाइम टेबल बनाया, जिसमें रोजाना 8-10 घंटे पढ़ाई शामिल थी। नियमित मॉक टेस्ट और पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों को हल करके उन्होंने अपनी तैयारी को मजबूत किया।
  • सोशल मीडिया से दूरी: ताराचंद ने फेसबुक, व्हाट्सएप, और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से दूरी बनाकर अपनी एकाग्रता को बनाए रखा, हालांकि यूट्यूब उनके लिए ज्ञान का प्रमुख स्रोत रहा।
  • चुनौतियां: 71 वर्ष की उम्र में कमजोर याददाश्त और शारीरिक थकान जैसी चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने नियमित दोहराव और आत्मविश्वास के साथ पढ़ाई जारी रखी।

CA परीक्षा का महत्व

चार्टर्ड अकाउंटेंसी (CA) भारत की सबसे प्रतिष्ठित और कठिन प्रोफेशनल डिग्रियों में से एक है। इसमें तीन स्तर होते हैं: CA फाउंडेशन, इंटरमीडिएट, और फाइनल। इसमें अकाउंटेंसी, ऑडिटिंग, टैक्सेशन, और फाइनेंशियल मैनेजमेंट जैसे जटिल विषय शामिल हैं। ICAI के अनुसार, 2025 में CA फाइनल की पास प्रतिशत केवल 18.75% थी, जिसमें 14,247 उम्मीदवार ही सफल हुए। ताराचंद की इस उम्र में यह उपलब्धि असाधारण है।


परिवार और प्रेरणा

  • शिक्षा से जुड़ा परिवार: ताराचंद का परिवार शिक्षा के क्षेत्र से गहराई से जुड़ा है। उनका बेटा पहले से ही चार्टर्ड अकाउंटेंट है, उनकी पोतियां CA की तैयारी कर रही हैं, और बेटी-दामाद मुंबई में उच्च पदों पर कार्यरत हैं।
  • पोती की भूमिका: ताराचंद की पोती उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा रही। उसे पढ़ाने के दौरान उन्होंने न केवल उसे गाइड किया, बल्कि खुद भी इस कठिन परीक्षा की तैयारी में जुट गए।
  • पत्नी की स्मृति: पत्नी की मृत्यु के बाद अकेलेपन से जूझ रहे ताराचंद ने पढ़ाई को अपनी ताकत बनाया और इसे अपनी पत्नी को श्रद्धांजलि के रूप में देखा।

सामाजिक प्रभाव

  • सोशल मीडिया पर चर्चा: ताराचंद की यह उपलब्धि सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। X पर कई यूजर्स ने उनकी मेहनत और जुनून की सराहना की है। यह कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा बन रही है, जो पढ़ाई में असफलता या उम्र को अपनी राह में बाधा मानते हैं।
  • युवाओं के लिए संदेश: ताराचंद की कहानी सिखाती है कि मेहनत और आत्मविश्वास के साथ कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। उनकी उपलब्धि ने यह साबित किया कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती।

हमारा विचार

ताराचंद अग्रवाल की यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने सपनों को उम्र या परिस्थितियों के कारण छोड़ देता है। 71 साल की उम्र में, बिना कोचिंग के, केवल यूट्यूब और ऑनलाइन संसाधनों के दम पर CA जैसी कठिन परीक्षा पास करना एक असाधारण उपलब्धि है। यह कहानी न केवल व्यक्तिगत जुनून को दर्शाती है, बल्कि डिजिटल युग में शिक्षा की पहुंच को भी रेखांकित करती है। सरकार और शैक्षिक संस्थानों को ऐसी कहानियों को प्रोत्साहन देना चाहिए, ताकि समाज में आजीवन सीखने की संस्कृति को बढ़ावा मिले। ताराचंद अग्रवाल ने साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं है।

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