जयपुर, 23 जुलाई 2025: राजस्थान में पंचायतीराज और नगरीय निकाय चुनावों की देरी को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। गहलोत ने कहा कि सरकार जानबूझकर पंचायत और निकाय चुनाव टाल रही है, जिससे संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। उन्होंने इसे लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ करार दिया।
गहलोत ने सोशल मीडिया पर लिखा, “संविधान के अनुच्छेद 243-ई में स्पष्ट है कि पंचायतीराज चुनाव हर पांच साल में अनिवार्य रूप से कराए जाएं। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों, जैसे गोवा सरकार बनाम फौजिया इम्तियाज शेख और पंजाब राज्य निर्वाचन आयोग बनाम पंजाब सरकार, में भी इसकी पुष्टि की गई है। फिर भी, भाजपा सरकार हार के डर से ‘एक राज्य, एक चुनाव’ की आड़ में चुनाव टाल रही है।”
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “राज्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने स्वयं स्वीकार किया है कि सरकार चुनाव कराने को तैयार नहीं है। यह संवैधानिक संकट पैदा कर रहा है।”
दूसरी ओर, पंचायती राज मंत्री अविनाश गहलोत ने दावा किया कि दिसंबर 2025 तक पंचायतीराज और निकाय चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि पंचायत पुनर्गठन के लिए गठित कैबिनेट सब-कमेटी 20 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अंतिम फैसला लेंगे।
हालांकि, गहलोत ने परिसीमन प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस चुनाव जीतने के लिए नियमों की अनदेखी कर रहे हैं और कलेक्टरों पर दबाव डालकर मनमाने तरीके से पुनर्गठन करवा रहे हैं।
राजस्थान में 6,759 ग्राम पंचायतों के चुनाव जनवरी 2025 में होने थे, लेकिन परिसीमन और पुनर्गठन के कारण इन्हें जून 2025 तक टाला जा सकता है। हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में सरकार ने स्वीकार किया कि परिसीमन पूरा होने तक चुनाव संभव नहीं हैं।
कांग्रेस नेताओं ने मांग की है कि सरकार तत्काल चुनाव की तारीखों की घोषणा करे और लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करे। दूसरी ओर, भाजपा का कहना है कि ‘एक राज्य, एक चुनाव’ की नीति से प्रशासनिक सुविधा बढ़ेगी। यह विवाद राजस्थान की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है।